संपूर्ण पूजन विधान
संपूर्ण पूजन विधान महामाया जगज्जननी को शैलराज अर्थात पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण देवी जगदम्बा 'शैलपुत्री' कहलाईं। माता शैलपुत्री आद्यशक्ति, सर्वतत्त्वमयी प्रपञ्चरूपा, तत्त्वातीत, नित्या, परमानन्द स्वरूपिणी तथा चराचर जगत् की बीज स्वरूपा हैं। आद्यशक्ति का आश्रय लिये बिना भगवान शिव का आत्मज्ञान नहीं होता। शैलपुत्री भी प्रकाशरूप परम शिव के सानिध्य के बिना प्रकटित नहीं होती। अतः प्रथम नवरात्र में मां शैलपुत्री के इस व्रत में भगवान सदाशिव का भी ध्यान हो जाता है। शैलपुत्री ने घोर आराधना करके प्राणनाथ रूप में सदाशिव का वरण किया था। यही कारण है कि शैलपुत्री की आराधना से साधक की इच्छाशक्ति में दृढ़ता का आविर्भाव होता है। साधक अपनी अहंकाररहित दृढ़ इच्छाशक्ति से अपने लक्ष्य को निश्चित रूप से प्राप्त करता है। दुर्गा मां का नवरात्र में स्थापना व पूजन नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की स्थापना व पूजन का विधान है। मां दुर्गा की स्थापना व पूजन के उपरांत उनमें मां शैलपुत्री का आविर्भाव कराकर माता शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। माता दुर्गा की स्थापना ...