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Showing posts from April, 2024
खोलो दया का द्वार  मैया जी अब खोलो दया का द्वार कई जन्मो से भटक रहा हूँ  मत करना इंकार  मैया जी अब खोलो दया का द्वार  खोलो दया का द्वार.... तेरा मेरा साथ पुराना तू दाती मैं भिखारी प्यार की भिक्षा डाल दो अब तो  खड़ा हूँ झोली पसार मैया जी अब खोलो दया का द्वार  खोलो दया का द्वार.... तुम भी अगर प्रभु जी ठुकराओगे  मिलेगा कहा ठिकाना सब द्वारोँ को छोड़ के  दाता आया तेरे द्वार मैया जी अब खोलो दया का द्वार  खोलो दया का द्वार.... करुणासागर कहलाते हो करो कृपा अब मैया जी हाथ पकड़ लो माझी  अब तो नाव पड़ी मझधार मैया जी अब खोलो दया का द्वार  खोलो दया का द्वार.... खोलो दया का द्वार  मैया जी अब खोलो दया का द्वार कई जन्मो से भटक रहा हूँ  मत करना इंकार  मैया जी अब खोलो दया का द्वार , 2 पकड़ लो बाँह अब मईया, नही तो डूब जाएगी पकड़ लो बाँह अब मईया, नही तो डूब जाएगी हमारा कुछ ना बिगड़ेगा, तुम्हारी लाज जाएगी  पकड़ लो बाँह अब मईया.... तुम्हारे ही भरोसे पर जमाना छोड़ बैठा हूँ  तुम्हारे ही भरोसे पर जमाना छोड़ बैठा हूँ  जमाने की तरफ देख...

भगवती श्रीदुर्गा

.                         "भगवती श्रीदुर्गा"            अनन्त कोटि ब्राह्मण्डों की अधीश्वरी भगवती श्रीदुर्गा ही सम्पूर्ण विश्व को सत्ता और स्फूर्ति प्रदान करती हैं। इन्हीं की शक्ति से ब्रह्मादि देवता उत्पन्न होते हैं, जिनसे विश्व की उत्पत्ति होती है। इन्हीं की शक्ति से विष्णु और शिव प्रकट होकर विश्व का पालन और संहार करते हैं। ये ही गोलोक में श्रीराधा, साकेत में श्रीसीता, क्षीरसागर में लक्ष्मी, दक्षकन्या सती तथा दुर्गतिनाशिनी दुर्गा हैं।            शिवपुराण के अनुसार भगवती श्रीदुर्गा के आविर्भाव की कथा इस प्रकार है- प्राचीन काल में दुर्गम नामक एक महाबली दैत्य उत्पन्न हुआ। उसने ब्रह्माजी के वरदान से चारों वेदों को लुप्त कर दिया। वेदों के अदृश्य हो जाने से सारी वैदिक क्रिया बन्द हो गयी। उस समय ब्राह्मण और देवता भी दुराचारी हो गये। न कहीं दान होता था, न तप किया जाता था। न यज्ञ होता था, न होम ही किया जाता था। इसका परिणाम यह हुआ कि पृथ्वी पर सौ वर्षों तक वर्षा बन्द हो ग...

नवरात्रि का दूसरा दिन माता का दूसरा स्वरूप:- "माँ ब्रह्मचारिणी"

.                 कल 10.04.2024 दूसरा नवरात्र           नवरात्रि का दूसरा दिन माता का दूसरा स्वरूप:-                               "माँ ब्रह्मचारिणी"            नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होती है। इस रूप में देवी को समस्त विद्याओं का ज्ञाता माना गया है। देवी ब्रह्मचारिणी भवानी माँ जगदम्बा का दूसरा स्वरुप है। ब्रह्मचारिणी ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली। ब्रह्माण्ड को जन्म देने के कारण ही देवी के दूसरे स्वरुप का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। देवी के ब्रह्मचारिणी रूप में ब्रह्मा जी की शक्ति समाई हुई है। माना जाता है कि सृष्टी कि उत्पत्ति के समय ब्रह्मा जी ने मनुष्यों को जन्म दिया। समय बीतता रहा , लेकिन सृष्टी का विस्तार नहीं हो सका। ब्रह्मा जी भी अचम्भे में पड़ गए। देवताओं के सभी प्रयास व्यर्थ होने लगे। सारे देवता निराश हो उठें तब ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है। भोले शंकर बोले कि...