नवरात्र उपासना
*नवरात्र उपासना* खगोल विज्ञान के नियमानुसार पृथ्वी एक सालमे सूर्य की एक परिक्रमा पूर्ण करती है । सूर्य उत्तरायण से सूर्य दक्षिणायन के मध्य का समय संधि जब दिनरात समान समय होता है और सूर्य दक्षिणायन से सूर्य उत्तरायण की संधि जब दिनरात एक समान समय होता है । अमावस्या की रात्रि या एकम की रात्रि से नोउ रात्रि तक का जो समय है इसे अश्विन ओर चैत्र नवरात्र कहते है । इस दोनों संधि समय दौरान ब्रह्मांड के सभी ग्रह नक्षत्र का मुख पृथ्वी के सामने खुलता है । ब्रह्मांड की प्रचंड ऊर्जा शक्ति का प्रवाह पृथ्वी की तरफ बहता है । नासा जैसी अवकाशी संशोधन कर रही वैज्ञानिक संस्था ने भी इस कॉस्मेटिक ऊर्जा का प्रवाह उन्ही समय अंकित किया । उन पवित्र ऊर्जा शक्ति को ग्रहण करने केलिए हमारे ऋषियो ने नवरात्र उपासना का मार्ग दर्शन किया है । ये शक्ति को ही महामाया , अम्बा , दुर्गा कहा गया है । * नवरात्रमें रात्रि का महत्व * प्रत्यक्ष देवता सूर्य की शक्ति प्...