श्रीदुर्गासप्तशती की ॥ पाठविधिः ॥ शापोद्धारः सहित

श्रीदुर्गासप्तशती की ॥पाठवि धिः॥ शापोद्धारः सहित * 1. साधक स्नान करके पवित्र हों जाएं। * 2. अपने पास में गंगाजल युक्त शुद्ध जल, पूजन-सामग्री और श्रीदुर्गासप्तशती की पुस्तक रखे। * 3. आसन-शुद्धि की क्रिया सम्पन्न करें। * 4. पूर्वाभिमुख होकर अर्थात पूर्व की ओर मुख करके शुद्ध आसन पर बैठे। * 5. पुस्तक को अपने सामने काष्ठ आदि के शुद्ध आसन पर विराजमान कर दे। * 6. ललाट में अपनी रुचि के अनुसार भस्म, चन्दन अथवा रोली लगाएं।, * 7. यदि शिखा रखते हैं तो शिखा बाँध ले। यदि नहीं, तो सिर पर कोई वस्त्र ढक लें। * 8. फिर पूर्वाभिमुख होकर तत्त्व-शुद्धि के लिये अग्रालिखित चार मन्त्रों से चार बार आचमन करे। ॐ ऐं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा। ॐ ह्रीं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥ ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥ * 9. त्पश्चात् प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें; फिर * 10. पवित्रीधारण दाहिनी अनामिका में दो कुश की तथा बायीं में तीन की पवित्री धारण करें ॐ पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ सव...